आयशा राणा , सह - संस्थापक – VRIGHT PATH क्यों आज भी सहस्राब्दियों पुरानी यह परंपरा प्रासंगिक है हर वर्ष जैसे ही श्राद्ध पक्ष ( पितृ पक्ष ) आता है , बहसें शुरू हो जाती हैं। अनेक बुद्धिजीवी , वैज्ञानिक और आधुनिक चिंतक इसे अंधविश्वास मानते हैं —“ यह तो बस ब्राह्मणों द्वारा बनाई गई एक रस्म है। ” कुछ लोग तो इसे विज्ञान और तर्क के युग में अप्रासंगिक भी कह देते हैं। लेकिन यदि आपने कभी सोचा है कि यह परंपरा केवल कौए को भोजन कराने , पिंडदान करने या departed आत्माओं के लिए मंत्र पढ़ने तक ही सीमित है — तो ठहरिए। सच यह है कि श्राद्ध पक्ष अंधविश्वास नहीं है। यह विज्ञान , मनोविज्ञान , पारिस्थितिकी और आध्यात्मिकता का संगम है — जिसे हमारे पूर्वजों ने बिना किसी प्रयोगशाला के सहस्रों वर्ष पहले समझ लिया था। ( English ) पाँच सत्य जो सनातन धर्म ने विज्ञान से पहले जान लिए थे 1. सब कुछ ऊर्जा है – “ सर्वं खल्विदं ब्रह्म ” उपनिषदों ने ह...
मुंबई , महाराष्ट्र : गणेश चतुर्थी 2025 का पर्व 27 अगस्त को धूमधाम से मनाया जाएगा। यह पर्व भगवान गणेश की पूजा का पर्व है , जो विघ्नहर्ता , बुद्धि के देवता और समृद्धि के प्रतीक माने जाते हैं। इस वर्ष , यह पर्व न केवल सांस्कृतिक उल्लास का प्रतीक है , बल्कि आध्यात्मिक जागरण , विनम्रता और एकता का भी संदेश देता है। ( English ) Lalbaug Raja 1st Darshan ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व गणेशोत्सव की शुरुआत 1893 में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने की थी , ताकि यह पर्व समाज में एकता और राष्ट्रीयता की भावना को प्रोत्साहित कर सके। आज यह पर्व महाराष्ट्र की सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न हिस्सा बन चुका है। आध्यात्मिक अनुशासन और अनुष्ठान · निर्जला व्रत : 26 अगस्त 2025 · प्रतिमा स्थापना : 27 अगस्त 2025 ( सुबह ) · वर्ज्य क्रियाएँ : हिंसा , मांसाहार , नकारात्मक आचरण , आदि से बचें। · ...