जिस प्रकार क्रिकेटर अपने अनुकूल पिच की आस लगाए बैठे रहते हैं, उसी प्रकार फिल्म के निर्माता-निर्देशक एक अदद स्टोरी के लिए टीवी और न्यूजपेपर खंगालते रहते हैं कि शायद कोई हॉट टॉपिक टपक पड़े। पिछले दिनों भ्रष्टाचार और स्पेक्ट्रम के साथ अचानक प्याज की टीआरपी बढ़ी तो बॉलिवुड में खुशी की लहर दौड़ गई। प्याज जैसे मौलिक विषय पर फिल्म की कल्पना ने साकार रूप ले लिया, जिसके कुछ लीक हुए अंशों को जोड़कर संपूर्ण कथा प्रस्तुत है - नायक, नायिका के गांव आसपास हैं पर कुछ पुरानी दुश्मनी के कारण आपस में प्याज-बेटी का संबंध नहीं है। नायक की जमीन बंजर है, नायिका की उपजाऊ जिस पर प्याज की खेती होती है। नायिका का बाप बेवड़ा है, भाई आवारा, इसलिए सारा काम नायिका ही संभालती है। नायिका नकचढ़ी है। नायक घर से रोज प्याज -रोटी लाता है और लंच टाइम में मेड़ पर बैठकर खाता है। खाते हुए वह नायिका को ताकता रह...