आर्यन प्रेम राणा, निदेशक VRIGHTPATH
ग्रेगोरियन नववर्ष की रात को मनाने के तरीके समाज के लिए हानिकारक
आज जब हम 2024 के अंत को मनाने और 2025 का स्वागत करने के लिए रेव पार्टियों में जाने, शराब पीने, नशीली दवाइयां लेने और अनुचित व्यवहार करने के बारे में सोच रहे हैं, तब मैं सभी हिंदुओं और हर व्यक्ति से अपील करता हूं कि वे #VRIGHTPATH अपनाएं और सनातन हिंदू कैलेंडर को अपनाने पर विचार करें। यह समय है सच्चे सुख, सांस्कृतिक समृद्धि और आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देने वाले मूल्यों पर विचार करने का।
भारतीय कैलेंडर, जो वैज्ञानिक सटीकता और प्राकृतिक चक्रों पर आधारित है, न केवल हिंदुओं बल्कि सभी धर्मों के लिए एक आदर्श समय गणना प्रणाली है। यह खगोलीय घटनाओं और सांस्कृतिक महत्व का ऐसा समन्वय प्रस्तुत करता है, जो इसे सार्वभौमिक अपनापन के लिए उपयुक्त बनाता है। इसके विपरीत, ग्रेगोरियन कैलेंडर, जो आज प्रचलित है, न तो वैज्ञानिक रूप से सटीक है और न ही सांस्कृतिक रूप से प्रासंगिक।
भारतीय कैलेंडर का वैज्ञानिक आधार
प्रकृति के साथ तालमेल: भारतीय कैलेंडर में नववर्ष चैत्र मास से शुरू होता है, जो वसंत ऋतु और विषुव (Equinox) का प्रतीक है। यह समय संतुलन, नवीनीकरण और नई शुरुआत का है। यह प्राकृतिक और खगोलीय चक्रों के साथ पूरी तरह मेल खाता है।
पहला नक्षत्र: चैत्र मास का आरंभ अश्विनी नक्षत्र से होता है, जो ऊर्जा और स्वास्थ्य का प्रतीक है। इस खगोलीय घटना का नया वर्ष से जुड़ना समय को वैज्ञानिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण बनाता है।
सटीक समय गणना: भारतीय पंचांग चंद्र और सौर चक्रों का संतुलन करता है। "अधिक मास" (लीप माह) जैसे अद्वितीय समाधान चंद्र और सौर वर्षों के बीच अंतर को समाप्त करते हैं, जिससे समय का प्रबंधन बेहद सटीक हो जाता है।
सटीक भविष्यवाणी: भारतीय पंचांग और योगों की सहायता से प्राकृतिक घटनाओं, मौसम चक्रों, और यहां तक कि व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर घटनाओं की सटीक भविष्यवाणी की जा सकती है। चंद्र और सौर योग, ग्रहण, नक्षत्रों की स्थिति, और ग्रहों की गति पर आधारित गणनाएं कृषि, त्योहारों, और धार्मिक अनुष्ठानों के समय निर्धारण में मदद करती हैं। यह न केवल हिंदुओं के लिए बल्कि सभी समाजों के लिए उपयोगी हो सकता है।
हिंदुओं के लिए सांस्कृतिक गर्व
भारतीयों को अपने पंचांग पर गर्व करना चाहिए, जो उनके पूर्वजों की खगोलीय और वैज्ञानिक विशेषज्ञता का प्रमाण है। यह केवल धार्मिक नहीं, बल्कि वैज्ञानिक और सांस्कृतिक धरोहर भी है।
चैत्र नववर्ष का उत्सव: चैत्र में नववर्ष का आरंभ न केवल प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करता है, बल्कि समाज में सकारात्मकता और सामूहिकता को भी बढ़ावा देता है।
सकारात्मक परंपराएं: भारतीय नववर्ष दान, प्रार्थना, और सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से मनाया जाता है, जो सामाजिक एकता और नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देता है।
ग्रेगोरियन कैलेंडर के उत्सव की समस्याएं
ग्रेगोरियन कैलेंडर का नववर्ष, जो जनवरी में मनाया जाता है, किसी भी खगोलीय या प्राकृतिक घटना से जुड़ा नहीं है। इसके साथ जुड़ी हुई पार्टियां और गतिविधियां अक्सर सामाजिक और नैतिक समस्याओं को बढ़ावा देती हैं।
अवैध और अनैतिक गतिविधियां: नववर्ष की रात शराब का अत्यधिक सेवन, ड्रग्स का उपयोग, और रेव पार्टियां जैसे कृत्य आम हो गए हैं। यह समाज में अव्यवस्था फैलाते हैं और युवाओं के लिए खतरनाक उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।
युवाओं पर प्रभाव: नशे और अनैतिक गतिविधियों में भाग लेने से युवा पीढ़ी का मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बिगड़ता है। यह उनकी नैतिकता और जीवन के प्रति दृष्टिकोण को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।
वैज्ञानिक महत्व का अभाव: जनवरी में नया साल शुरू होने का कोई खगोलीय या प्राकृतिक आधार नहीं है। यह केवल ऐतिहासिक रूप से थोपी गई परंपरा है।
भारतीय कैलेंडर की सार्वभौमिक प्रासंगिकता
सभी धर्मों के लिए प्रासंगिकता: भारतीय कैलेंडर की वैज्ञानिकता इसे केवल हिंदुओं तक सीमित नहीं रखती। इसकी प्राकृतिक चक्रों से संगति इसे सभी धर्मों और संस्कृतियों के लिए प्रासंगिक बनाती है।
सार्थक उत्सव: भारतीय नववर्ष को अपनाने से लोग रचनात्मक गतिविधियों जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रम, सामुदायिक सेवा, और आत्ममंथन में भाग ले सकते हैं।
जीवन के निर्णयों में मदद: पंचांग के माध्यम से योग और ग्रह स्थिति का अध्ययन व्यक्तिगत और सामूहिक निर्णयों को बेहतर बनाने में मदद करता है। यह कृषि, व्यापार, और अन्य क्षेत्रों में सटीक योजना का मार्गदर्शन प्रदान करता है।
आधुनिक समाज के लिए चेतावनी
ग्रेगोरियन नववर्ष की रात को मनाने के तरीके समाज के लिए हानिकारक हैं। यह युवाओं को भटकाव की ओर ले जाता है और भविष्य की पीढ़ियों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। भारतीय कैलेंडर को अपनाने से यह प्रवृत्ति
भारतीय कैलेंडर, जो वैज्ञानिकता, सांस्कृतिक समृद्धि, और प्राकृतिक सामंजस्य का प्रतीक है, सभी धर्मों और संस्कृतियों के लिए एक आदर्श समय गणना प्रणाली है। इसकी सहायता से सटीक भविष्यवाणी और योजना बनाना संभव है, जो हर समाज के लिए लाभदायक है। हिंदुओं को इसे गर्व के साथ अपनाना चाहिए और चैत्र में नववर्ष मनाने की परंपरा को पुनर्जीवित करना चाहिए। यह केवल भारत की धरोहर का सम्मान नहीं होगा, बल्कि समाज को सकारात्मक दिशा में ले जाने का भी माध्यम बनेगा।
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